Monday, October 15, 2018

पाकिस्तान के इतिहास की सबसे अंधेरी रात

"मैं पांच अक्तूबर को कराची पहुंचा और सीधा जनरल इसकंदर मिर्ज़ा से मिलने गया. वो लॉन में बैठे हुए थे. तल्ख़, फ़िक्रमंद और मायूस. मैंने पूछा- क्या आपने अच्छी तरह सोच-विचार कर लिया है?"
'हां.'
'क्या इसके सिवा कोई और चारा नहीं?'
'नहीं. इसके सिवा कोई और चारा नहीं.'मैंने सोचा कि कितनी बदक़िस्मती की बात है कि हालात ऐसे मोड़ तक पहुंच गए हैं कि ये सख़्त क़दम उठाना पड़ रहा है. लेकिन ये अपरिहार्य था. ये देश को बचाने की आख़िरी कोशिश थी.'
इस बातचीत के दो दिन बाद सात और आठ अक्तूबर की दरमियानी शाम पाकिस्तान के पहले राष्ट्रपति जनरल इसकंदर मिर्ज़ा ने संविधान को निलंबित कर दिया, असेंबली भंग कर दी और राजनीतिक पार्टियों को प्रतिबंधित करके पाकिस्तान के इतिहास का पहला मार्शल लॉ लगा दिया और उस वक़्त के सेना प्रमुख जनरल अयूब ख़ान को मार्शल लॉ एडमिनिस्ट्रेटर बना दिया.
चूंकि पहली-पहली कोशिश थी, इसलिए पहले मार्शल लॉ में 'मेरे प्यारे देशवासियों' वगैरा जैसा कोई भाषण रेडियो पर (टीवी तो ख़ैर अभी आया ही नहीं था) नहीं दिया गया.
बस टाइपराइटर पर लिखा गया और एक फ़ैसला रात के साढ़े दस बजे साइक्लोस्टाइल कर अख़बारों के दफ़्तरों और दूतावासों को भेज दिया गया.
अलबत्ता ये ज़रूर हुआ कि चंद फ़ौजी दस्ते एहतियात के तौर पर रेडियो पाकिस्तान और टेलीग्राफ़ की इमारत को घेरे में लेने के लिए भेज दिए गए ताकि सनद रहे और ज़रूरत पर काम आ सकें.
अधिकतर विश्लेषक मानते हैं कि वो 'अपरिहार्य' फ़ैसला था जिसने देश पर ऐसी काली रात थोप दी जिसके काले साये साठ साल बाद भी पूरी तरह से नहीं छंट सके हैं.सकंदर मिर्ज़ा के लिखे हुए फ़ैसले की साइक्लोस्टाइल कॉपियां आने वाली नस्लों में बार-बार बंटती रहीं, बस किरदार बदलते रहे, कहानी वही पुरानी रही.
मिसाल के तौर पर देखें कि उस रात बांटे जाने वाले फ़ैसले में लिखा था-
'मैं पिछले दो साल से गंभीर चिंता के हालात में देख रहा हूं कि देश में ताक़त की बेरहम रस्साकशी जारी है, भ्रष्टाचार और हमारी देशभक्त, सादी, मेहनती और ईमानदार जनता के शोषण का बाज़ार गरम है. रख-रखाव की कमी है और इस्लाम को सियासी मक़सद के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है.'
'राजनीतिक पार्टियों की मानसिकता इस हद तक गिर चुकी है कि मुझे यक़ीन नहीं रहा कि चुनाव से मौजूदा आंतरिक अराजकता के हालात बेहतर होंगे और हम ऐसी स्थिर सरकार बना सकेंगे जो आज हमारे सामने मौजूद बेशुमार और पेचीदा मसलों को हल कर सकेगी. हमारे लिए चांद से नए लोग नहीं आएंगे.'
'यही लोग जिन्होंने पाकिस्तान को तबाही के मुहाने तक पहुंचा दिया ह,. अपने मक़सद हासिल करने के लिए चुनावों में धांधली से भी बाज़ नहीं आएंगे. ये लोग वापस आकर वही हथकंडे इस्तेमाल करेंगे जिन्हें इस्तेमाल करके इन्होंने लोकतंत्र का मज़ाक बनाकर रख दिया है.'
आपने देखा होगा कि बाद में आने वाले मार्शल लॉज़ में यही स्क्रिप्ट बदल-बदल कर इस्तेमाल होती रही.
इसकंदर मिर्ज़ा के मुताबिक लोकतंत्र मज़ाक़ बन कर रह गया है. लेकिन असल मज़ाक़ ये था कि जब ये मार्शल लॉ लगा, उसके तीन महीने बाद चुनाव तय थे. ऐसा लग रहा था कि उस वक़्त के प्रधानमंत्री मलिक फ़िरोज़ ख़ान का सत्ताधारी गठबंधन चुनाव जीत जाएगा और ये भी नज़र आ रहा था कि पार्टी के नेता शायद इसकंदर मिर्ज़ा को दोबारा देश का राष्ट्रपति न बनाएं.
तो राष्ट्रपति को भलाई इसी में दिखाई दी कि लोकतंत्र को ही रॉकेट में बिठा के अंतरिक्ष में रवाना कर दें.
बाहरी स्रोत भी इसका समर्थन करते हैं. मार्शल लॉ लगाए जाने से कुछ ही वक़्त पहले ब्रितानी हाई कमिश्नर सर एलेक्ज़ेंडर साइमन ने अपनी सरकार को जो ख़ुफ़िया जानकारी भेजी उस में दर्ज था कि पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने उन्हें बताया है कि अगर चुनाव के बाद सत्ता में आने वाली सरकार में नापसंदीदा लोग हुए तो वो इसका विरोध करेंगे.
सर एलेक्ज़ेंडर मिर्ज़ा ने इसी दस्तावेज़ में लिखा था कि नापसंदीदा लोगों का मतलब वो सांसद हैं जो इसकंदर मिर्ज़ा को दोबारा राष्ट्रपति बनाने के लिए वोट नहीं देंगे.
इसकंदर मिर्ज़ा को लोकतंत्र और संविधान का किस क़दर ख़याल था इसकी एक मिसाल उनके सेक्रेटरी क़ुदरतउल्ला शहाब की ज़बानी मिल जाती है.
शहाब अपनी आपबीती 'शहाबनामा' में लिखते हैं कि 22 सितंबर 1958 को पाकिस्तान के राष्ट्रपति इसकंदर मिर्ज़ा ने उन्हें बुलाया. उनके हाथ में पाकिस्तान के संविधान की एक कॉपी थी. उन्होंने उनसे किताब की ओर इशारा करते हुए कहा कि तुमने इस कचरे को पढ़ा है?
'जिस संविधान की शपथ लेकर वो पाकिस्तान के राष्ट्रपति की कुर्सी पर बैठे थे उसके लिए 'ट्रैश' शब्द का इस्तेमाल सुन कर मेरा मुंह खुला का खुला रह गया.'

Monday, October 8, 2018

挥之不去的核灾难阴影

随着新核能的经济效益越发薄弱,公众对于核安全的担忧无处不在。上周,日本前首相菅直人就这个问题发表了令人胆寒的演讲。2011年3月福岛核事故爆发时,时任日本首相正是菅直人。

菅直人在英国国会大厦发表演讲。面对国会议员和普通民众,他再次讲述了日本最大核电站之一的福岛核电站遭遇大地震和海啸袭击、冷却系统瘫痪之后,导致其反应堆融毁的一系列事故。

虽然电站工作人员以及核工程师十分英勇地开展了紧急抢救工作,但菅直人说多亏了“诸多幸运的巧合”,核反应堆才没有爆炸。对于人口稠密的日本而言,反应堆一旦爆炸,就需疏散包括大东京地区居民在内的约5000万人。

最糟糕的后果是,如果放射性物质发生爆炸,对周边广泛的区域造成致命性影响,就将成为有史以来最为严重的核电站事故。

去年,日本刚刚迎来广岛长崎核爆70周年纪念。对这样一个国家而言,核辐射就像幽灵一般深深印刻在国民的民族意识之中。

只有世界大战的影响才能与之比肩。”菅直人说。他认为如果福岛第一核电站的融毁现象没有得到控制,后续付出的经济代价之重,人口迁移规模之大,都是无法想象的。

虽然日本侥幸避免了最坏的结局,但最终的事故结果仍旧对日本财政、环境、居民健康和社会造成了非常重大的影响。菅直人和其他反核人士认为,对于计划大规模发展核能的中国而言,这些问题值得思量。

福岛核事故造成约20万居民流离失所,由于电站周围的区域仍有很高的放射性,大部分居民可能永远无法回到自己的家中。研究结果显示,在核电站周边很大范围内,白血病等与核辐射相关的致命疾病的发病率已经升高,首当其冲的受害者就是孩子。

未来几十年,福岛核事故的清理成本预计将在2500亿到5000亿美元之间,其中包括安装非常昂贵的核材料冷却系统。反应堆的放射性废水还在源源不断地流入海中,同时也污染着核废料存储地周围的土壤。

建设更加安全的核电站是欧洲核电建设大大超出预算、工程不断遭遇延期的主要原因之一。

法国、芬兰、以及中国台山核电站的建设采用了欧洲压水反应堆( )设计,这一技术中出现的问题已经引起社会对欣克利角C核电站以及其他采用此项技术的核电工程的进一步质疑。

目前,欣克利核电站的建设成本已经超出法国第一大能源公司法国电力公司的总市值,而负责工程部分的阿海珐集团的评级更是调降至垃圾级别。

中国(企业和官员)对EPR技术中存在的问题非常愤怒,”伦敦大学学院学者、核研究小组创始人保尔·多尔夫曼在菅直人发言的大会上说。

未来几个世纪中,建有大量核电站的英法等国可能将耗费数千亿美元处理和存储核废料,而这笔开销多数来源于国家的公共资金。

中国等计划发展核电的国家应该重新审视核电站建设、退役以及核废料存储所需的成本,考虑由此所得的发电量是否物有所值。

例如在中国,目前计划投建的核电站数量为50座,但截至2030年,即便其中大部分都能顺利落成,这些电站的发电量仍旧不到中国发电总量的10%。

一些能源专家说,现如今,可再生能源价格更加低廉,电网也在朝着局域化、智能化的方向转型,通过中央电网输送基载电力的需求遭到了越来越多的质疑。

可是,由于之前事故处理的不透明和管理不善,公众对核电行业的信任已经出现了不可挽回的动摇。因而对大众而言,对于安全问题的考量可能依旧高于经济因素。

事故本质上都是意外,”多尔夫曼说,他指出虽然福岛和切尔诺贝利核电站在设计过程中都考虑到了多种事故情况,但这两个电站的设计本身就存在很大的问题。

福岛核电站所在的沿海地区靠近全球最为活跃的地质断裂带,此前就断有警告称电站周围的海堤不足以保护电站不受特大地震及海啸的破坏,但核电站运营方东京电力公司并没有对此采取行动。

按菅直人所说,2011年地震发生之后的最初几个小时内,东京电力并没有向国家领导报告福岛核电站事故的准确信息,且直到事故发生数年之后,东京电力才公开承认受损电站辐射污水泄露的程度。

对核能持怀疑态度的人士想知道,如果正如科学家所警告的那样,海平面会由于气候变化而快速上升,那么下一代核反应堆选址海边是否安全。

对内陆核电站而言,在这样一个全球气温不断上升的时代,内陆河流的水量又是否足以支持反应堆的冷却系统呢?

很明显,在福岛核事故的影响下,核电工业的弱点暴露无遗,这也让各国重新审视自己新的核电发展计划。

“请从我们的错误中吸取教训,”福岛周边地区被疏散人员组织的一位负责人Yoshiko Aiko说,“不要让你错误的选择伤到孩子。”